रायपुर : मंत्री भेंड़िया की पहल से मूकबधिर इशिका को मिली सुनने-बोलने की ताकत

रायपुर : मंत्री भेंड़िया की पहल से मूकबधिर इशिका को मिली सुनने-बोलने की ताकत

हर माता-पिता को बच्चे के जन्म के बाद पहली बार उसकी आवाज सुनने का इंतजार रहता है। अपने बच्चे के मुंह से मां शब्द सुनने को हर मां आतुर रहती है, लेकिन रायगढ़ निवासी दिलीप अरोरा और निम्मी अरोरा की बेटी इशिका ने जब जन्म के ढाई साल के बाद भी बोलना शुरू नहीं किया तो माता-पिता की चिंता बढ़ गई। इलेक्ट्रॉनिक्स का व्यवसाय करने वाले दिलीप अरोरा इशिका के कानों के लिए महंगा उपकरण लेने में समर्थ नहीं थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इशिका को बोलते देखने के लिए प्रयास करने लगे। उनकी इस परेशानी को दूर करने की समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंड़िया की पहल से 11 साल बाद इशिका को सुनने-बोलने की ताकत मिली है।

 मंत्री भेंड़िया की पहल से मूकबधिर इशिका को मिली सुनने-बोलने की ताकत

    इशिका के पिता दिलीप अरोरा ने बताया कि इशिका में सुनने की क्षमता बहुत कम है। इशिका 5 साल की थी तब डॉक्टर की सलाह पर राज्य सरकार की बाल श्रवण योजना की मदद से उसका ऑपरेशन करवा कर उसके कान में कॉक्लीयर इम्प्लांट करवाया था। लगभग ढाई साल उसकी थेरेपी चली। बातों को समझना उसने शुरू ही किया था कि कान में लगी मशीन ने काम करना बंद कर दिया। कान में लगने वाला प्रोसेसर महंगा था, जिसके कारण वह खरीदने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे में अपनी बेटी की भविष्य की चिंता लिए मंत्री अनिला भेंड़िया के पास पहुंच कर उन्होंने अपनी परेशानी बताई। इशिका के विशेष प्रकरण को देखते हुए मंत्री भेंड़िया ने समाज कल्याण विभाग के माध्यम से इशिका को प्रोसेसर लगाने की अनुमति दी और उसके ईलाज की व्यवस्था के निर्देश दिए।

मंत्री भेंड़िया की पहल से मूकबधिर इशिका को मिली सुनने-बोलने की ताकत
    मंत्री भेंड़िया के निर्देश पर उनके रायपुर स्थित निवास में स्पीच ऑडियोलॉजिस्ट राकेश पाण्डे ने जब इशिका के कान में साउण्ड प्रोसेसर लगाया तो अपनों की आवाज सुनकर उसके चेहरे पर चमक आ गई। इशिका के माता-पिता भी उसके मुंह से पापा-मम्मा सुनकर खुश नजर आए और भेंड़िया को मदद के लिए आभार व्यक्त किया।   

    ऑडियोलॉजिस्ट राकेश पाण्डे ने इशिका के माता-पिता को विस्तार से उसकी थेरेपी के बारे में समझाते हुए बताया कि इशिका की सुनने की क्षमता बहुत कम है और उसे 90 डेसिबल से ज्यादा सुनने में परिशानी है। बच्ची सुन नहीं पाती इसलिये उसमें शब्दों और आवाज की पहचान और समझ ही विकसित नहीं हुई है। शब्द सुन नहीं पाने के कारण वह बोल भी नहीं सकती। स्पीच थेरेपी की मदद से इशिता को  शब्दों को पहचानने में मदद की जाएगी जिससे उसे बोलने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन माध्यम से भी स्पीच थेरेपी की सुविधा ली जा सकती है

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