रायपुर। टेरर फंडिंग के पुराने मामले में छत्तीसगढ़ की राजधानी पुलिस ने बंगाल से 56 साल के राजू खान को पकड़ा है। ये साल 2013 से रायपुर पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल था। राजू का एक साथी रायपुर में रहने वाला धीरज साव इस मामले में पहले ही साल 2013 में गिरफ्तार हो चुका है। फिलहाल वह रायपुर की जेल में 10 साल की सजा भुगत रहा है। राजू खान पिछले 7 साल से फरार था। राजू खाने के जरिए पैसा सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों तक पहुंच रहा था।
इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तार हुआ धीरज साव मूलतः बिहार का रहने वाला है। वो साल 2011 से खमतराई इलाके में चिकन का ठेला लगाया करता था। साल 2011 में ही पाकिस्तान से किसी खालिद नाम के शख्स ने इसे फोन किया और कहा था कि उसे बैंक खाते खोलकर, कुछ लोगों के खाते में रुपए ट्रांसफर करने होंगे। इसके बदले में रुपए मिलेंगे। धीरज साव ने ये काम शुरू कर दिया। रायपुर के रहने वाले उसके मौसेरे भाई श्रवण मंडल ने इसमें उसकी मदद की।
राजू खाने के खाते में भेजने थे पैसे
पाकिस्तानी आका ने इन्हें कहा था कि खाते में आने वाली रकम का 13% कमीशन काटकर बाकी के पैसे राजू खान, जुबैर हुसैन और आयशा बानो नाम के लोगों के अकाउंट में ट्रांसफर करने हैं। धीरज साव ही राजू खान के खातों में रुपए पहुंचाता था। NIA को ये सबूत मिले थे कि ये पैसे सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों तक पहुंच रहे हैं। साल 2013 में धीरज की गिरफ्तारी रायपुर में हुई। इसके मौसेर भाई श्रवण को भी तब पकड़ा गया था। इनसे मिले इनपुट के आधार पर मैंगलोर के रहने वाले जुबैर और आयशा को भी गिरफ्तार किया गया था, मगर तब से राजू खान फरार था। अब इस केस के सभी आरोपी रायपुर की सेंट्रल जेल में हैं।
बार-बार पता बदला रहा था राजू
कुछ महीनों पहले पुलिस को राजू खान के बंगाल में छुपे होने की जानकारी मिली थी। मगर तब अपना पता बदलकर राजू खान पुलिस से बच रहा था। इस बीच रायपुर पुलिस को पता चला कि राजू खान बंगाल में ही है। इसके बाद एक टीम रायपुर से बंगाल गई, कुछ दिन वहीं रुककर पुलिस की टीम ने राजू को ट्रेस किया और अब इसे गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया है। बुधवार को पूछताछ के बाद इसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया जाएगा।