नई दिल्ली : केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उप-राज्यपाल श्री आर के माथुर ने आज यहाँ केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और कोविड की स्थिति एवं नवगठित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विकास गतिविधियों को फिर से शुरू करने सहित कई अन्य मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने डॉ सिंह को लगातार रोजाना मदद देने और इस महामारी की पूरी अवधि के दौरान केंद्रीय मदद पहुंचाने के लिए धन्यवाद भी दिया।
डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उप-राज्यपाल को बताया कि जिन अनवरत प्रयासों के जरिए लद्दाख प्रशासन ने कोविड महामारी का सामना किया और उस पर काबू पाने में सफलता पाई, उनके लिए केंद्र सरकार ने प्रशासन की सराहना की है। उन्होंने बताया कि यह लद्दाख ही है जिसने पूरे देश को पहली बार कोरोना के खतरे से उस वक्त आगाह किया, जब ईरान तीर्थाटन से लौट रहे लोगों में से अचानक बड़ी संख्या में लोगों में कोरोना वायरस पाया गया, लेकिन इस बात का श्रेय लद्दाख प्रशासन और वहां की सिविल सोसाइटी को जाता है कि लद्दाख कोरोना के हमले से धीरे-धीरे पहले बच निकलने वाले राज्यों में शामिल है।
डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने लद्दाख और पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई इलाकों को प्राथमिकता देने के साफ निर्देशों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि लॉकडाउन लागू होने से पहले ही मालवाहक विमानों से वहां जरूरी चीजें पहुंचाई जाने लगीं। उन्होंने बताया कि आज की तारीख में लद्दाख में आम दिनों की तुलना में राशन, सब्जियों और फलों का काफी बड़ा भंडार है।
केंद्रीय मंत्री डॉ सिंह ने लेह और करगिल जिले के दो युवा उपायुक्तों और इन्हीं दो जिलों के दो एसएसपी की भी सराहना की जो हर रोज उनके संपर्क में रहते थे और समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर तालमेल बनाए रखते थे। इससे चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति और बाद में देश के विभिन्न हिस्सों से लौट रहे लोगों की आवाजाही को सुगम बनाने में मदद मिली।
उप-राज्यपाल श्री माथुर ने डॉक्टर जितेंद्र सिंह को मौजूदा स्थिति की जानकारी दी और कहा कि अब विकास से जुड़ी गतिविधियां फिर से शुरू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने ऊर्जा उत्पादन और निर्माण कार्यों से संबंधित कुछ ऐसी परियोजनाओं पर चर्चा की, जिनमें इस महामारी की वजह से विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ये परियोजनाएं शुरू होंगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने पाइपलाइन में पड़ी कई परियोजनाओं में से एक ‘लेह बेरी’ के प्रसंस्करण की परियोजना का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसके लिए विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने एक योजना बनाई है।