रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए भारत सरकार को अपने नियमों में अब बदलाव करना चाहिए।उन्होंने कहा,कोरोना की दूसरी लहर भारत के कुछ राज्यों में आ चुकी है और पहली लहर के मुक़ाबले अब कोरोना तेज़ी से फैल रहा है।
विकास उपाध्याय ने कहा,जहाँ लोगों में एंटी बॉडी कम है, वहाँ हॉट स्पॉट बनने का ख़तरा ज़्यादा है। इस वजह से उन इलाक़ों में सभी आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन की इजाज़त सरकार को अब देनी चाहिए। इससे दूसरी लहर पर क़ाबू जल्द पाया जा सकता है।
विकास उपाध्याय ने भारत में वैक्सिनेशन को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा, फ़िलहाल जिस रफ़्तार से भारत में वैक्सीन लग रही है, सभी लोगों को टीका लगने में तीन साल का वक़्त लग सकता है। उम्र की सीमा हटा कर इस समय सीमा को और कम किया जाना ही उचित होगा।
उन्होंने कहा,भारत में केवल पाँच फ़ीसद आबादी को ही अभी तक वैक्सीन लग पाई है। जबकि ब्रिटेन में 50 फ़ीसद आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। इसराइल में भी वैक्सीनेशन की रफ़्तार अच्छी है। इस वजह से वहाँ मामले कंट्रोल में भी हैं।भारत को ऐसे देशों से सीखना चाहिए।
विकास उपाध्याय ने आगे कहा,भारत सरकार ने ख़ुद राज्य सरकारों के साथ बैठक में माना है कि वैक्सीन ना लग पाने की वजह से कुछ वैक्सीन बर्बाद हो रहे हैं। आँकड़ों की बात करें तो सात फ़ीसद वैक्सीन भारत में इस वजह से बर्बाद हो रही है। अगर उम्र सीमा हटा दी जाए इस बर्बादी को रोका जा सकता है।भारत में जिस तेज़ी से मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए ऐसी नौबत नहीं आने देना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है।
विकास उपाध्याय ने कहा, विश्व के अन्य अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में जहाँ वैक्सीन लगाने की रफ़्तार तेज़ है और आबादी के एक बड़े हिस्से को टीका लग चुका है वहाँ कोरोना की लहर धीरे-धीरे कम हो रही है। इस वजह से भारत सरकार की अपनी रणनीति पर दोबारा से विचार करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा,दो हफ़्ते पहले तक भारत ने जितने डोज़ अपने नागरिकों को लगाए थे, उससे ज़्यादा दूसरे देशों की मदद के लिए भेजा था। तब ये रणनीति ठीक थी परंतु आज खुद भारत दूसरे लहर के भयावह चपेट में है ऐसे में पहले खुद के घर को जलने से बचाने की जरूरत है। एक आदमी से शुरु हुई महामारी आज विश्व में इस स्तर पर पहुँच गई है।इसलिए भी टीकाकरण अभियान को जल्द से जल्द विस्तार देने की ज़रूरत है।