वनवासियों में समृद्धि लेकर आया आटी इमली से फूल इमली का प्रसंस्करण

वनवासियों में समृद्धि लेकर आया आटी इमली से फूल इमली का प्रसंस्करण

लगभग 40 हजार क्विंटल इमली के प्रसंस्करण से 2.48 करोड़ की हुई अतिरिक्त आमदनी

कोरोना संकट के दौर में 10 हजार से अधिक मानव दिवस का रोजगार भी

रायपुर। आटी इमली का फूल इमली में प्रसंस्करण छत्तीसगढ़ के वनवासियों के लिए समृद्धि से भरपूर अपार खुशियां लेकर आया है। यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में वनवासियों के हित में लिए गए निर्णय और लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण और बेहतर खरीद व्यवस्था से संभव हुआ है। यही वजह है कि राज्य में वर्ष 2020-21 में कोरोना संकट की विषम परिस्थिति में भी केवल इमली के प्रसंस्करण कार्य से ही वनवासियों को काफी तादाद में रोजगार मिला और 2 करोड़ 48 लाख रूपए की आमदनी भी हासिल हुई। उक्त आटी इमली से फूल इमली के प्रसंस्करण कार्य से वनवासी हितग्राहियों को 10 हजार 174 मानव दिवस का कार्य उपलब्ध हुआ।

राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य अंतर्गत क्रय की गई इमली को स्थापित वन धन विकास केन्द्रों के माध्यम से प्रसंस्करण किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा क्रय की गई इमली को वन धन विकास केन्द्रों में आटी इमली से फूल इमली बनाने का कार्य किया गया। इनमें 31 जनवरी 2021 तक कुल 39 हजार 389 क्विंटल आटी इमली का प्रसंस्करण किया गया, जिससे 4555 क्विंटल फूल इमली और 3134 क्विंटल इमली बीज प्राप्त किया गया।

उक्त प्रसंस्करण कार्य में हितग्राहियों को लगभग 10 हजार 174 मानव दिवस का कार्य प्रदाय करते हुए अब तक 2 करोड़ 30 लाख रूपए का भुगतान कर दिया गया है। इनमें जगदलपुर, नारायणपुर, धरमजयगढ़, कटघोरा, पूर्व भानूप्रतापुर तथा दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल के अंतर्गत आटी इमली से फूल इमली का प्रसंस्करण से लाभान्वित वनवासी संग्राहक शामिल हैं।

राज्य में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा शासन की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर वनवासियों के जीवन-स्तर को ऊंचा उठाया जा रहा है। इस कड़ी में राज्य में वनवासियों को लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण का लाभ दिलाया जा रहा है। इनमें वनवासी संग्राहक राज्य में आटी इमली के संग्रहण तथा आटी इमली के प्रसंस्करण से फूल इमली और इमली बीज की बिक्री कर वर्षभर अधिकाधिक आय के सृजन में जुटे हुए हैं।

इस तरह वनवासी संग्राहकों को केवल एक इमली के वनोपज से ही तीन अलग-अलग रूपों में उसके संग्रहण, प्रसंस्करण और बीज के विक्रय का भरपूर मुनाफा मिलने लगा है। प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि राज्य में वर्तमान में एम.एस.पी. पर 52 लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है, इनमें लघु वनोपज इमली भी शामिल है

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