सिर्फ कागजों में है रायपुर के सरकारी स्‍कूलों एडवांस और इंग्लिश मीडियम…

सिर्फ कागजों में है रायपुर के सरकारी स्‍कूलों एडवांस और इंग्लिश मीडियम…

रायपुर। रमन सरकार में खुले अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों में अव्यवस्थाएं बहुत हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए पर्याप्त जगह, खेलने के लिए मैदान, पढ़ने के लिए किताबें जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल तो खोल दिए गए, लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की गई।

नईदुनिया की पड़ताल पर जानकारी मिली की सात वर्ष पहले खुले स्कूलों में आज भी हिंदी माध्यम से पढ़े हुए शिक्षक पढ़ा रहे हैं। सिर्फ कागज में स्कूल अंग्रेजी माध्यम है, लेकिन यहां पर सुविधाएं हिंदी माध्यम जैसी भी नहीं है। राजधानी में होने के बावजूद इन स्कूलों में अव्यवस्थाओं का आलम है।

नए शिक्षा सत्र की पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक इन स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची है। ये सीबीएसई स्कूल है। यहां पर अलग किताबें चलती है। प्रदेश के सभी ब्‍लॉकों में एक-एक अंग्रेजी माध्यम के सीबीएसई स्कूल खुले थे, वही रायपुर धरसींवा ब्‍लॉक में दो स्कूल हैं। वहीं प्रदेश में संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में किताबें पहुंच गई है, लेकिन कुछ स्कूल है जहां पर अभी तक किताबें नहीं पहुंची है।

शांति नगर और पेंशनबाड़ा में अंग्रेजी के शिक्षक नहीं

राजधानी में दो सीबीएसई अंग्रेजी माध्यम के स्कूल चल रहे हैं। शांति नगर स्कूल में 210 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां पर नर्सरी और प्राइमरी की कक्षाएं लगती है। नर्सरी में पढ़ाने के लिए तीन शिक्षिकाएं हैं। वही पहली से पांचवीं तक पढ़ाने के लिए पांच शिक्षिकाएं हैं। इनमें से सिर्फ एक अंग्रेजी माध्मय की है बाकि चार हिंदी माध्यम से पढ़ी हुई है।

वहीं पेंशनबाड़ा में संचालित स्कूल में पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। जगह के अभाव के कारण स्कूल दो पालियों में संचालित होता है। प्रथम पाली में सुबह साढ़े सात बजे से प्राइमरी की कक्षाएं लगती है, वहीं दोपहर 12 बजे से मिडिल की कक्षाएं लगती है। यहां पर हिंदी माध्यम के पढ़े हुए ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं।

पिछली सरकार ने नहीं दिया ध्यान

पिछली सरकार ने पांच वर्ष तक इन स्कूलों में किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया है। प्रदेश में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए। इन स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर निजी स्कूलों के जैसे बनाया गया। यहां पढ़ने वाले छात्रों को भी निजी स्कूलों की तरफ स्मार्ट कक्षाएं, कंप्यूटर लैब, खेल मैदान समेत सारी सुविधाएं प्रदान की गई, लेकिन पहले से संचालित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई। ये स्कूल अभी भी अभावों में चल रहे हैं।

धरसींवा बीईओ एम. मिंज ने कहा, इन स्कूलों में अभी तक किताबें नहीं पहुंची है। शासन से अभी किताबें हम नहीं मिली है। जैसे ही किताबें मिलेगी तुरंत आपूर्ति करवाई जाएगी।

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