10 मई से शनि चलेंगे उल्टी चाल इन पर पड़ेगा असर

10 मई से शनि चलेंगे उल्टी चाल इन पर पड़ेगा असर

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष तृतीया 10 मई 2020 दिन रविवार को ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनिदेव स्वगृही रहकर अपनी मार्गी गति को छोड़कर,अपनी ही राशि मकर में वक्री गति से गोचर प्रारम्भ करेंगे। इसका मतलब है कि शनि अब उल्टी चाल चलेंगे। ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार शनि के वक्री होने का प्रभाव चराचर जगत सही सभी राशियों पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वक्री होने से इनके कारकत्वों में कमी या नकारात्मकता देखने को मिलेगी। शनि ग्रह प्रायः 140 दिन तक वक्री रहा जाता है। वक्री शनि होने पर व्यक्ति को अपनी महत्वाकांक्षाओ एवं असीमित इच्छाओं पर अंकुश लगाना चाहिए। क्योंकि शनि के वक्री काल मे व्यक्ति असुरक्षित, असंतोष, अशांति एवं अनात्मियता का अनुभव करने लगता है। ऐसे में उसके आत्म विश्वास की कमी आ जाती है । अपने शकी स्वभाव के कारण आत्मीय बंधुओ एवं सच्चे मित्रों को भी अपना शत्रु बन लेता है। इस काल मे व्यक्ति आत्म केंद्रित एवं स्वार्थी प्रकृति का होने लगता है। आइए ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली से जानें इस स्थिति का क्या प्रभाव पड़ेगा इन राशियों पर :

मेष: दशमेश एवं लाभेश होकर स्वगृही विद्यमान है। ऐसे में अपने अधिकारों के दुरुपयोग से बचें। कार्यों में व्यवधान, अति श्रेष्ठता का प्रदर्शन करेंगे अतः बचें। उत्साह में कमी आ सकती है। अहम, पद, प्रतिष्ठा का त्याग करके कर्तव्यों का निर्वहन पर ध्यान देना चाहिए नही तो सामाजिक प्रतिष्ठा कमजोर हो सकती है। अगर मूल कुण्डली में भी दशम भाव मे शनि वक्री होतो इस अवधि में गाँव का मुखिया नौकरी आदि की प्राप्ति हो सकती है। इस अवधि में आप पदोन्नति कर सकते है।

वृष :- धन जायदाद के प्रति लापरवाही आ सकती है। किसी पर भी अपना विचार न थोपें। धर्मान्ध होने से बचें। भाग्येश स्वगृही होकर वक्री है अतः भाग्य का प्रबल साथ भी अचानक मिल सकता है। दार्शनिक, धार्मिक ज्ञान का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। धर्म का मार्ग आपके लिए अति श्रेयस्कर होगा। नवम भाव मे शानि अधिकार दिलाता है,पुरानी इमारतों घरों की मरम्मत करवाता है।

मिथुन : अष्टमेश-भाग्येश होकर अष्टम में विद्यमान होंगे। इसलिए ऐसे लोग बड़े विद्वान दार्शनिक होते हैं। शनि के दुष्प्रभाव से विद्याओ का गलत प्रयोग करके फंश भी जाते है। काला जादू ,तांत्रिक शक्तिओ का सहारा लेने लगते हैं। फ़लतः अंत मे व्यापक नुकसान हो जाता है। वाणी तीव्र,परिश्रम में अवरोध,संतान पक्ष से चिंता ,पढ़ाई में अवरोध। धनागम में अवरोध।

कर्क:- सप्तमेश-अष्टमेश होते है। भागीदारी लम्बी नहीं चलेगी, चाहे विवाह हो ,चाहे व्यापार हो ,वक्री शनि वाला जातक दूसरे साथी के प्रति शक करने वाला, अविश्वास रखने वाला होगा। जीवनसाथी में कमी खोजता है। ऐसे में दूसरों के प्रति निष्ठा रखकर ,लोगो का विश्वास अर्जित करना चाहिए, दाम्पत्य में थोड़ा अवरोध हो सकता है। सिर की समस्या,घरेलू तनाव या खर्च ।माता का स्वास्थ्य खराब ही हो सकता है।

सिंह :- वक्री होकर स्वगृही है। जनहित के कार्यो में रुचि ,रोग, ऋण, शत्रु पर विजय होगी। स्वास्थ्य की समस्या, क्योंकि आप अपने स्वास्थ्य के प्रति इस अवधि में लापरवाही बरत सकते है। दूसरों के प्रति संवेदनशील रहिए। अगर मूल कुण्डली में भी वक्री है तो बड़ी सफलता का भी योग है। यशश्वी अधिकारी बन सकते है। दाम्पत्य में अवरोध,पराक्रम वृद्धि ,खर्च में वृद्धि।

कन्या:- पंचमेश -रोगेश। वक्री होकर पंचम भाव मे ,संतान के प्रति लापरवाह बना देता है। अगर मूल कुंडली मे वक्री है तो संतान एकाधिक पैदा करने के बाद भी उनका भरण पोषण में ध्यान नहीं देता है। प्रेम के मामलों में स्वार्थी हो जाते है। व्यवहार के कारण असम्मान की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अचानक धन लाभ हो सकता है। नज़दीकी लोगो से मनमुटाव,वाणी में तीव्रता,दांत की समस्या,दाम्पत्य में तनाव वजह लापरवाही।

तुला :- सुखेश-पंचमेश होकर सुख भाव मे स्वगृही ,आपको अति भावुक बना देगा। मकान,घर ,माता ,नौकर-चाकर के प्रति लापरवाह बना देगा। दूसरो की चिंता आपको नहीं होगी। जिस काम मे आप लगेंगे उसी में पूरी तन्मयता के साथ लग जाएंगे। अतः घर की कोई चिंता ही नही रह जाएगी जो कलह का कारण होगा। शनि यहाँ मकर राशि के होंगे फलतः जायदाद मिल सकती है ,घर खरीद सकते है। गाड़ी पर भी खर्च होगा। रोग, ऋण शत्रुओ का समन होगा। परिश्रम में अवरोध,मानसिक चिंता,अध्ययन अध्यापन में अरुचि।

वृश्चिक :- पराक्रम एवं सुख भाव के कारक होते हैं। अपने स्वयं के जीवन एवं चरित्र निर्माण के प्रति जरूरी कार्यो पर भी ध्यान नही दे पाते है। छोटी सी भी विमारी इनको परेशान कर देती है। भाई बहनों एवं मित्रो के प्रति असंतुष्ट ,पराक्रम में अत्यधिक वृद्धि,आन्तरिक अशांति ,माता को कष्ट ,गृह एवं वाहन पर खर्च ,व्यय में अधिकता,संतान के प्रति थोड़ी चिंता,पिता को स्वास्थ्य के समस्या। तृतीय भावस्थ वक्री शनि वाला जातक अटूट परिश्रम के बाद भी अशांत रहता है। परंतु इनके पराक्रम को जल्दी कोई पा नहीं सकता है। बड़े ही पराक्रमी होते है।

धनु:- धनेश एवं पराक्रमेश होता है। द्वितीय भावस्थ वक्री शनि वाला जातक शारीरिक एवं भौतिक साधनों को प्राप्त करने के लिए दीवानों की तरह भागता है। धन खर्च करने में भी ज्यादा बुद्धिमत्ता ,तर्क ,या विवेक से काम नहीं लेता है। धन भाव मे विद्यमान शनि वाला जातक विदेश या दूर से ज्यादा पैसा कमाते हैं। अपनी वाणी पर विशेष ध्यान देना चाहिए । पान मसाला,गुटका ,या अन्य व्यसन आपको बहुत नुकसान कर सकता है। पेट की समस्या, पैर में चोट या दर्द,लाभ अचानक मिल सकता है, माता को अचानक कष्ट की संभावना।

मकर :- लग्नेश एवं धनेश होता है। लग्नेश होकर वक्री होने से व्यक्ति अपनी बातों को बड़ी दृढ़ता से मानता एवं मनवाता है। इनमे कुछ विशेष गुण ,रचनात्मक शैली भी होती है जो औरों से अलग करती है। इनमे अहम ज्यादा होता है। अतः अगर अहम ,जिद्द त्यागकर कार्य करें तो बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। लग्नस्थ वक्री शनि जातक को कुटिल एवं धनवान बनाता है। व्यक्ति राजा तुल्य राज भोगता है, अपने समाज का अग्रणी होता है। पराक्रम में वृद्धि होगी। दाम्पत्य में तनाव ,पद प्रतिष्ठा एवं सम्मान में, अचानक वृद्धि या बड़ी सफलता।

कुम्भ :- व्ययेश-लग्नेश होकर स्वगृही व्यय भाव मे ही विद्यमान है। द्वादश भावस्थ वक्री शनि जातक को अंतर्मुखी बनाता हैं। जातक को घूमने का शौक रहता है ,आलस्य ,एवं लापरवाही की प्रवृति भी होती है। अचानक मानसिक या शारीरिक कष्ट भी हो सकता है। शत्रु भाव पर दृष्टि से जातक शत्रुओ को पराजित तो कर देता है परंतु स्वयं के नकारात्मक विचारों के कारण कष्ट भी उठाना पड़ सकता है। यहाँ शनि स्वग्रही है फलतः उच्च रहन सहन ,विदेश यात्रा, धनी ,सम्मानित बनाता है। वाणी एवं खर्च पर संयम रखें,भाग्य में तीव्र वृद्धि होगी।

मीन :-
लाभेश-व्ययेश होकर लाभ भाव एवं एकादश भाव मे विद्यमान है। एकादश भावस्थ वक्री शनि जातक को अपने रिश्तेदारों ,सम्बन्धियो एवं मित्रो के प्रति सही तालमेल नही होता। ऐसा जातक अपने से निम्न वर्गीय लोगों के साथ ज्यादा जुड़ा रहता है। वह अचानक बड़े लाभ को प्राप्त भी करता है। आत्म प्रशंसा ,चापलूसी वगैरह से बचना चाहिए। लाभ भाव मे वक्री शनि जीवन साथी एवं संतान के लिए अनुकूल नही होता है। परंतु यह स्वग्रही है फलतः नकारात्मक नहीं होगा सिर्फ तनाव ही देगा। पेट एवं पैर की समस्या ,से बचें उस अवधि में।

(साभार : लाइव हिंदुस्तान )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *